Environmental Science (333)
Class 12th
Tutor Marked Assignment(2024-25)
प्रश्न 1. (a) आप पृथ्वी की प्रतिरोधक क्षमता से क्या समझते हैं और यह किसी भी जीव के अस्तित्व के लिए इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर– पृथ्वी की प्रतिरोधक क्षमता का मतलब है कि हमारी धरती विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने और संतुलन बनाए रखने की क्षमता रखती है। यह जीवों के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जीवों को आवश्यक संसाधन प्रदान करती है, जैसे जल, हवा, और भोजन। यदि पृथ्वी की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, तो यह जैव विविधता को प्रभावित कर सकती है और सभी जीवों के लिए संकट पैदा कर सकती है।
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प्रश्न 2. (a) स्कूली पाठ्यक्रम किस प्रकार पर्यावरण संरक्षण और नैतिकता की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
उत्तर– स्कूली पाठ्यक्रम पर्यावरण संरक्षण और नैतिकता की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के कई प्रभावी तरीके हैं।
पर्यावरणीय जागरूकता को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करना:
- विज्ञान, समाजशास्त्र, और भूगोल जैसे विषयों में पर्यावरणीय मुद्दों को शामिल करना चाहिए। उदाहरण के लिए, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, जैव विविधता, और प्राकृतिक संसाधनों का महत्व।
- नैतिक शिक्षा (मोरल साइंस) में छात्रों को ईमानदारी, करुणा, सहयोग, और सामुदायिक भावना जैसी बातों को समझाया जा सकता है। इससे उनका पर्यावरण और समाज के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होगा।
प्रश्न 3. (a) कोई एक प्राकृतिक आपदा का नाम लिखिए । हमें किसी समुदाय के स्थानीय लोगों को निपटने के लिए प्रशिक्षित क्यों करना चाहिए?
उत्तर– एक प्राकृतिक आपदा का नाम है भूकंप।
प्रशिक्षित होने से वे आपदा के समय खुद को और दूसरों को तुरंत मदद पहुंचा सकते हैं, जिससे जान-माल का नुकसान कम होता है। आपदा के समय बाहरी सहायता पहुँचने में देर हो सकती है। स्थानीय लोग यदि प्रशिक्षित हों, तो वे प्राथमिक चिकित्सा, राहत कार्य, और बचाव में मदद कर सकते हैं, जिससे समुदाय को तुरंत राहत मिलती है।
प्रश्न 4. (a) किन्हीं चार प्रकार की कृषि और कृषि तकनीकों की सूची बनाइएं और जिनका उपयोग मिट्टी के कटाव को कम करने के लिए किया जा सकता है, का वर्णन कीजिए। साथ ही कारण भी लिखिएं।
उत्तर– यहाँ चार प्रकार की कृषि तकनीकों की सूची दी गई है जो मिट्टी के कटाव को कम करने में सहायक हैं:
1.कॉन्टूर प्लाउइंग (Contour Plowing)
विवरण: इस तकनीक में खेतों को ढलान की दिशा में जोतने के बजाय, उनकी सतह पर समोच्च रेखाओं के साथ जोता जाता है।
कारण: ढलान पर पानी का बहाव नियंत्रित रहता है और पानी खेतों में ठहरता है, जिससे मिट्टी का कटाव कम होता है। इससे मिट्टी के पोषक तत्व भी संरक्षित रहते हैं।
2.टेरेस फार्मिंग (Terrace Farming)
विवरण: ढलान वाली जमीन पर सीढ़ीनुमा खेत बनाए जाते हैं, जिससे पानी सीढ़ियों पर ही रुक जाता है।
कारण: टेरेस फार्मिंग से पानी का बहाव धीमा होता है, जिससे मिट्टी का कटाव कम होता है। यह तकनीक विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में उपयोगी है जहाँ तेज ढलान के कारण कटाव की संभावना अधिक होती है।
3.कवर क्रॉपिंग (Cover Cropping)
विवरण: मुख्य फसल के कटने के बाद खेत में पौधे (जैसे क्लोवर, अल्फाल्फा) बोए जाते हैं जो जमीन को ढके रखते हैं।
कारण: कवर क्रॉप मिट्टी की सतह पर एक आवरण बनाते हैं, जिससे बारिश या तेज हवा के कारण मिट्टी का कटाव कम होता है। यह मिट्टी की नमी बनाए रखने और पोषक तत्वों को संचित रखने में भी मदद करता है।
4.एग्रोफोरेस्ट्री (Agroforestry)
विवरण: इस तकनीक में फसलों के साथ-साथ पेड़ और झाड़ियों को भी खेतों में उगाया जाता है।
कारण: पेड़ और झाड़ियाँ मिट्टी को जकड़ कर रखते हैं, जिससे कटाव कम होता है। इसके अलावा, पेड़ बारिश के पानी की तीव्रता को कम कर देते हैं और मिट्टी को प्राकृतिक रूप से ढके रहते हैं।
इन तकनीकों का उपयोग करने से न केवल मिट्टी का कटाव कम होता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता, नमी और संरचना भी बेहतर होती है, जो लंबे समय तक कृषि उत्पादन को बनाए रखने में सहायक है।
प्रश्न 5. (a) i. जल चक्र से क्या तात्पर्य है? यह चक्र वर्षों तक चलने के लिए ऊर्जा कहाँ से प्राप्त करता है
ii. हम भारत में भूजल को जल आपूर्ति का उपयुक्त स्रोत क्यों मानते हैं?
उत्तर– i. जल चक्र (Water Cycle)
जल चक्र (Water Cycle) से तात्पर्य पृथ्वी पर पानी के लगातार घूमते रहने की उस प्रक्रिया से है जिसमें पानी विभिन्न अवस्थाओं में होकर गुजरता है। इस चक्र में पानी वाष्पीकरण, संघनन, वर्षा और संग्रहण जैसे विभिन्न चरणों से गुजरता है, और इसी के माध्यम से पृथ्वी पर जल का पुनर्चक्रण होता रहता है।
जल चक्र को ऊर्जा कहाँ से प्राप्त होती है:
जल चक्र को चलाने के लिए आवश्यक ऊर्जा सूर्य से प्राप्त होती है। सूर्य की ऊष्मा से पानी वाष्प बनता है, और वाष्प के ऊँचाई पर पहुँचने पर ठंडे वातावरण में संघनित होकर फिर से वर्षा के रूप में लौट आता है। सूर्य की ऊर्जा जल चक्र को निरंतर गति में रखती है और इसी कारण यह प्रक्रिया हजारों वर्षों से बिना रुके चल रही है।
ii.भारत में भूजल को जल आपूर्ति का उपयुक्त स्रोत मानने के कई कारण हैं:
भारत में भूजल को जल आपूर्ति का उपयुक्त स्रोत माना जाता है क्योंकि यह कई तरह से फ़ायदेमंद है, भूजल से सिंचाई और घरेलू ज़रूरतों के लिए पानी मिलता है। भारत में, सिंचाई के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी का करीब 75% हिस्सा भूजल से ही आता है।ग्रामीण इलाकों में पानी की ज़रूरत का करीब 85% हिस्सा और शहरी इलाकों में करीब 50% हिस्सा भूजल से ही पूरा होता है।
प्रश्न 6. (b) जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के लिए पार्टियों का सम्मेलन (COP) एक अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन है, जो प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है, जब तक कि पार्टियां (शामिल देश) अन्यथा निर्णय न लें। इस सम्मेलन ने “जलवायु प्रणाली के साथ खतरनाक मानवजनित हस्तक्षेप” से बचने के लिए ग्रीनहाउस गैसों (GHGs) की वायुमंडलीय सांद्रता को स्थिर करने के उद्देश्य से कार्रवाई के लिए एक रूपरेखा तैयार की। COP में, विश्व नेता जलवायु परिवर्तन से निपटने के समाधान पर एक साथ काम करने के लिए एकत्र होते हैं। इस समय COP में 198 पार्टियाँ (197 देश और यूरोपीय संघ ) शामिल हैं, जो सार्वभौमिक सदस्यता के करीब हैं। अब तक 28 COP बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। रिपोर्ट लिखने के लिए आप पुस्तक/इंटरनेट/समाचार पत्र / पत्रिकाओं/ अपने एआई केंद्र के शिक्षकों/अपने बड़ों से परामर्श का भी उपयोग कर सकते हैं। COP के बारे में निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए 500 शब्दों तक अपनी रिपोर्ट लिखिए।
क) COP का मुख्य उद्देश्य क्या है?
ख) COP की पहली बैठक कब और कहाँ हुई थी?
ग) COP-28 बैठक का संक्षिप्त सारांश लिखिए।
घ) COP-28 में भारत द्वारा की जा रही पहल का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर-
क) सीओपी सम्मेलनों का प्राथमिक उद्देश्य “जलवायु प्रणाली के साथ खतरनाक मानवजनित हस्तक्षेप” से बचने के लिए ग्रीनहाउस गैसों (GHGs) की वायुमंडलीय सांद्रता को स्थिर करने के उद्देश्य से कार्रवाई के लिए एक रूपरेखा तैयार करना है । COP में, विश्व नेता जलवायु परिवर्तन से निपटने के समाधान पर एक साथ काम करने के लिए एकत्र होते हैं।
ख)पहला सम्मेलन (सीओपी) 1995 में बर्लिन, जर्मनी में आयोजित किया गया था। सीओपी29 नवंबर 2024 में बाकू, अज़रबैजान में आयोजित किया जाएगा।
ग) संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की 28वीं वार्षिक जलवायु बैठक यानी COP-28, 30 नवंबर से 12 दिसंबर, 2023 तक संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दुबई में आयोजित की गई थी। इस बैठक में जलवायु परिवर्तन को रोकने और उससे निपटने के लिए कई फ़ैसले लिए गए।
घ)COP-28 में भारत ने कई महत्त्वपूर्ण पहलें शुरू की हैं। इनमें प्रमुख पहल “ग्लोबल ग्रीन क्रेडिट इनिशिएटिव” है, जिसे भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ मिलकर प्रस्तुत किया। इस पहल का उद्देश्य विभिन्न पर्यावरणीय कार्यों को बढ़ावा देना और स्वैच्छिक रूप से हरित कार्यों में संलग्न होने वालों को ग्रीन क्रेडिट्स जारी करना है। इस पहल के तहत विशेष रूप से क्षतिग्रस्त या बंजर भूमि पर वृक्षारोपण और जलग्रहण क्षेत्रों के संरक्षण पर ध्यान दिया गया है, ताकि पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्जीवित किया जा सके।
निष्कर्ष
इन पहलों के जरिए भारत न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।